पूसा। यूपीएससी की परीक्षा में देश में 10वां स्थान प्राप्त कर पूसा (दिघरा) समेत राज्य का नाम रौशन करने वाले सत्यम गांधी मंगलवार को अपने घर आएंगे। उनके आगमन की खबर फैलते ही क्षेत्र में खुशी की लहर दौड़ गयी है। ग्रामीण स्तर पर उन्हें विशेष सम्मान देने की तैयारी चल रही है। सत्यम गांधी के पिता व डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विवि के कर्मी अखिलेश कुमार ने बताया कि एक बजे दरभंगा एयरपोर्ट पर उतरने के बाद मालीनगर, सैदपुर होते हुए वे दिघरा पहुंचेगे। कई स्थलों पर उन्हें सम्मानित करने की चर्चा है। इधर दिघरा में पूर्व कुलपति डॉ. गोपालजी त्रिवेदी समेत कई गणमान्य के मौजूद रहने की संभावना है। यूपीएससी रिजल्ट निकलने के बाद पहली बार सत्यम गांधी अपने घर आ रहे हैं। इस बीच दिल्ली में भी कई संस्थानों ने उन्हें सम्मानित किया है।

एक छोटे से गांव से निकलकर UPSC टॉपर बने सत्यम, जानें उनकी प्रेरणादायक कहानी
संघ लोक सेवा आयोग की तरफ से सिविल सर्विसेज 2020 परीक्षा का रिजल्ट बीते दिनों जारी किया, जिसमें कुल 761 अभ्यर्थियों ने सफलता पाई है. इस परीक्षा में बिहार के सत्यम गांधी का भी चयन हुआ है. उन्हें ऑल इंडिया 10वीं रैंक मिली है. सत्यम के यहां तक पहुंचने का रास्ता बहुत प्रेरणादायक रहा है. वो एक ग्रामीण इलाके के रहने वाले हैं, यही कारण है उनका ग्रामीण क्षेत्र में विकास करने का मूल लक्ष्य है.
सत्यम गांधी बिहार के समस्तीपुर जिले के दिघरा गांव के रहने वाले हैं. ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल करने के बाद वो यूपीएससी में आए और उन्होंने प्रथम प्रयास में आईएएस अफसर बनने का सपना पूरा कर लिया. उनके पिता सरकारी विभाग में काम करते हैं और उनकी मां गृहिणी हैं. शुरू से ही सत्यम पढ़ाई में काफी होशियार रहे और इंटरमीडिएट के बाद उन्होंने पॉलिटिकल साइंस से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की.
इस रणनीति से सत्यम का सपना हुआ पूरा
सत्यम गांधी अपने लक्ष्य को लेकर पूरी तरह स्पष्ट थे. उन्होंने ठान लिया था कि वे किसी भी कीमत पर पहले ही प्रयास में सिविल सेवा परीक्षा पास करेंगे. इसके लिए उन्होंने सिलेबस को अच्छी तरह देखा. इसके बाद किताबें चुनीं और फिर शेड्यूल बनाकर पढ़ाई में जुट गए.
सत्यम हर दिन करीब 8 से 9 घंटे पढ़ाई करते थे. परीक्षा की तैयारी अच्छी हो सके, इसलिए वो रिश्तेदारों या फिर शादी-समारोहों से भी दूरी बना ली थी. पढ़ाई के दौरान उन्हें जहां भी कुछ कन्फ्यूजन होता, वो इंटरनेट का सहारा लेते थे. उनका मानना है कि यूपीएससी में व्यक्ति का बैकग्राउंड या फिर पढ़ाई का मीडियम कुछ भी हो, लेकिन आयोग की तरफ से बेस्ट को चुना जाता है.