समस्तीपुर। जिला मुख्यालय समेत आसपास के क्षेत्रों में मूसलाधार बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। रविवार को भी बारिश हुई। एक ओर जहां गर्मी व उमस से लोगों को राहत मिली है। वहीं, दूसरी ओर निचले इलाके में जलभराव की समस्या बढ़ गई। शहर के पश्चिमी इलाके में जलभराव के कारण बाढ़ जैसे हालात उत्पन्न हो गए हैं। सड़कों पर घुटने भर पानी जमा हो गया। आलम यह कि लोगों को अपने घरों से निकलना मुश्किल हो गया। बीते एक माह से शहर के कई इलाकों के लोग जलजमाव की पीड़ा झेल रहे हैं। नगर निगम के नालों की उड़ाही का फायदा भी शहरवासियों को नहीं मिल रहा है। शहर मुख्य नाला से लेकर गली मोहल्लों मे बने नाले जलजमाव से मुक्ति की राह में बाधक बने हुए हैं। शहर के बीएड कालेज, काशीपुर, कृष्णापुरी, सोनवर्षा, बारहपत्थर, चीनी मिल, गुदरी बाजार समेत एक दर्जन से अधिक वार्डों में ऐसे हैं जहां एक माह से बारिश का पानी जमा है और काला पड़ गया है। इन मोहल्लों में रहने वाले सैकड़ों परिवारों का जीना मुहाल हो चुका है। गंदे पानी के कारण मच्छरों का प्रकोप भी लोगों का चैन छिन रहा है। महामारी की आशंका सता रही है। निगम के प्रयास के बाद भी पानी नहीं निकलने से परेशान लोग अब भगवान भरोसे हैं। पिछले दो दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश से उमस भरी गर्मी से निजात तो मिली लेकिन जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया है।
जाम पड़े नाले, जलनिकासी के लिए चलाया जा रहा मोटर पंप
जलनिकासी के नाम पर शहर के हर गली-मोहल्ले में नाला निर्माण में लाखों- करोड़ों रुपये खर्च किए गए। लेकिन, नाला पानी निकालने में बेदम साबित हुए। लोगों का बताना है कि एक तो बिना किसी प्लान के नालों का निर्माण कराया गया। न लेयर का ध्यान रखा गया और न ही आउटलेट का। बस नाला बना दिया गया। उससे होकर मोहल्ले का पानी निकले या नहीं निकले इसकी परवाह न नाला बनाने वाले संवेदक ने की और न ही संबंधित एजेंसी के अभियंता एवं अधिकारियों ने। निगम के जनप्रतिनिधियों ने भी इस बात का ध्यान नहीं रखा कि मोहल्ले में बन रहे नाला का पानी कहां निकलेगा। उनको तो बस नाला बनवा लेना था ताकि ताकि जनता खुश हो जाए। नाला बनाते समय यह भी ध्यान नहीं दिया गया कि उसकी सफाई कैसे होगी।